सीखा हैं .........हँसाना .........................!!
शुरू करता हूँ तारीफ मेरी कार्टून क्लास की
उलटफेर के धनी जिन्दादिलो की शान की ||
हँसते थे सब तो लगता ऐसा
रावन एक अकेला नहीं था एस दुनिया में अपने जैसा ||
ये उसके ही संगी साथी जो प्रकट हुए आज
अलौकिक मुस्कान के भण्डार जो बजाये रखते थे साज ||
एक अद्भुत यंहा की कीर्ति ,
जो अभिषेक कर जाती दुनिया की मुस्कान का
वो अकेली सुमेधा हैं दुनिया की
सबसे अनोखी क्लास की प्यारी शान का ||
फ़िल्मी यश 'नाना' भी हैं
यंहा मीनू का रिझाना भी हैं
अनामिका का बजाना भी हैं
मीनाक्षी को हँसाना भी हैं ||
यहाँ का हर दिन एक युग परिचायक
एक ओज सी प्रखरता का महानायक
जन्हा हर और लक्ष्मी भगिनी का
वादन सुर अनुपम हैं गायक ||
ये सब सितारे हैं मस्ती के
ये पैगाम हैं दुनिया की नयी हस्ती के ||
एक पागल फसाना भी हैं
सच्चे दिल का बहाना भी हैं
कई दिन हो गए याद करो
अब घर जाकर नहाना भी हैं ||
- दिलीप स्वामी
1 comment:
nice poem :) Thank you Dilip !!!
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